भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 बच्चों को अश्लील वस्तुएँ (Pornographic Content) बेचने के अपराध से संबंधित है। जिसमें बताया गया है कि जो कोई भी व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री बेचता है, किराए पर देता है, या प्रदर्शित करने का अपराध करता है। उस व्यक्ति पर बीएनएस धारा 295 का उल्लंघन करने के लिए कार्यवाही की जाती है।
“अश्लील वस्तु” या अश्लील सामग्री के बारे में बीएनएस की धारा 294 में परिभाषा दी गई है। जिसमें ऐसी वस्तु शामिल होती है जो यौन-संबंधी (Sexual) बातों को दर्शाती है, और जिनको सार्वजनिक रूप से बेचना, प्रदर्शित करना या वितरित करना गैर-कानूनी (Illegal) माना जाता है। जैसे:- अश्लील तस्वीरें, फिल्में, किताबें, पत्रिकाएं आदि।
बीएनएस सेक्शन 295 की मुख्य बातें।
- किसी बच्चे को अश्लील वस्तु बेचना, दिखाना, या उनको संभाल कर रखने के लिए देना।
- किसी भी बच्चे को गंदी फिल्में दिखाने के लिए मजबूर करना।
- इसमें Online और Offline दोनों तरीके से बच्चे को अश्लील वस्तु भेजना अपराध माना जाता है।
- जो भी व्यक्ति इस प्रकार का गंभीर अपराध करता है, उस व्यक्ति को धारा 295 के तहत कारावास व जुर्माने की सजा का प्रावधान (Provision) दिया गया है।
बीएनएस की धारा 295 का उदाहरण:-
सुरेश नाम का एक व्यक्ति मोबाईल की दुकान चलाता था, रोजाना उसके पास बहुत सारे ग्राहक अपना फोन रिपेयर कराने आते थे। उसी दुकान में सुरेश कुछ गैर-कानूनी काम भी करता था। सुरेश अपनी दुकान पर आने वाले लोगों से पैसे लेकर उनके फोन में अश्लील फिल्में डालता था। उसकी दुकान पर स्कूल में पढ़ने वाले छात्र भी आते थे, और सुरेश उन्हें गंदी लत लगाने के लिए ऐसी फिल्में दे देता था।
एक दिन किसी व्यक्ति को सुरेश के इन गैर-कानूनी कार्यों की जानकारी हो जाती है, जिसकी शिकायत वो व्यक्ति पुलिस को कर देता है। कुछ ही समय बाद पुलिस वहाँ आ जाती है, और सुरेश को BNS 295 के आरोप के तहत गिरफ्तार कर लेती है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 295 के अपराध की सज़ा
बीएनएस की धारा 295 के तहत किसी बच्चे को अश्लील सामग्री बेचने के अपराध में दोषी (Guilty) पाये जाने वाले व्यक्ति को 2 प्रकार की सजा से दंडित किया जा सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति पहली बार इस अपराध को करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे 3 साल तक की कैद व 2000 रुपये के जुर्माने से दंडित (Punished) किया जाता है।
- परन्तु अगर कोई व्यक्ति एक से ज्यादा बार या बार-बार इस अपराध को करता है, तो दोषी पाये जाने पर उसे 7 साल तक की कैद व 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।